
आज हम इंडियन आर्मी में हो रहे टेक्नोलॉजिकल एडवांसमेंट्स और नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) के नए करिकुलम ट्रांसफॉर्मेशन पर चर्चा करेंगे। 2026 तक NDA के सिलेबस में फ्यूचर वॉरफेयर को ध्यान में रखते हुए कई अहम बदलाव किए जाएंगे, ताकि कैडेट्स को केवल बैटलफील्ड स्ट्रेटजी ही नहीं, बल्कि टेक-ड्रिवन वॉरफेयर का भी एक्सपर्ट बनाया जा सके। आइए जानते हैं कि यह बदलाव क्या हैं और भारतीय सेना को इससे क्या फायदा होगा।
NDA का मौजूदा एकेडमिक स्ट्रक्चर
NDA में तीन साल का कोर्स छह टर्म्स में बंटा होता है। इस दौरान कैडेट्स को साइंस, टेक्नोलॉजी, आर्ट्स और मिलिट्री स्टडीज पढ़ाई जाती हैं, ताकि उनका एकेडमिक और प्रैक्टिकल बेस मजबूत हो सके। ट्रेनिंग ब्रांच की जिम्मेदारी प्रिंसिपल डायरेक्टर ऑफ ट्रेनिंग के पास होती है और इसके तहत छह ट्रेनिंग टीमें काम करती हैं—
- आर्मी ट्रेनिंग टीम
- एयरफोर्स ट्रेनिंग टीम
- नेवल ट्रेनिंग टीम
- जॉइंट ट्रेनिंग टीम
- फिजिकल ट्रेनिंग टीम
- एक्टेशन ट्रेनिंग टीम
इसके अलावा, एक एजुकेशन ब्रांच भी होती है, जो अकेडमिक ट्रेनिंग को संभालती है।
NDA के करिकुलम में समय-समय पर बदलाव
- 1973: NDA, जेएनयू (JNU), दिल्ली से एफिलिएट हुआ, जिससे कैडेट्स को ट्रेनिंग के बाद डिग्री मिलने लगी।
- 1987: कंप्यूटर साइंस कोर्स शुरू किया गया।
- 1999: 97वें कोर्स के 25 कैडेट्स ने B.Sc. इन कंप्यूटर साइंस की डिग्री हासिल की।
- 2016: B.Tech प्रोग्राम को NDA में शामिल किया गया।
- 2023-2025: “ईयर ऑफ ट्रांसफॉर्मेशन” और “ईयर ऑफ टेक्नोलॉजी एब्जॉर्प्शन” घोषित किए गए।
2026 में क्या बदलाव होंगे?
चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने घोषणा की है कि 2026 तक NDA का सिलेबस पूरी तरह से ट्रांसफॉर्म होगा। इंडियन आर्मी “टैक्टिकल कमांडर्स” को “टेक्नो-कमांडर्स” में बदलने के विजन पर काम कर रही है।
नए NDA करिकुलम में कौन-कौन से सब्जेक्ट होंगे?
- नेटवर्क सेंट्रिक वॉरफेयर:
- आईटी और कंप्यूटर नेटवर्किंग से बैटलफील्ड एफिशिएंसी बढ़ाने पर फोकस।
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML):
- ऑटोनोमस सिस्टम्स, प्रिडिक्टिव एनालिटिक्स और टैक्टिकल डिसीजन मेकिंग में मदद।
- साइबर स्पेस और इंफॉर्मेशन वॉरफेयर:
- एसिमेट्रिक वॉरफेयर और साइबर सिक्योरिटी टैक्टिक्स को समझने के लिए।
NDA का नया सिलेबस क्यों जरूरी है?
आजकल की लड़ाइयां सिर्फ फिजिकल स्ट्रेंथ तक सीमित नहीं हैं। साइबर वॉरफेयर, AI वॉरफेयर, और एडवांस मिलिट्री टेक्नोलॉजी का भी अहम रोल है। इसलिए, आर्मी को अब टेक-इंटेग्रेटेड लीडर्स की जरूरत है।
निष्कर्ष
यह बदलाव NDA को सिर्फ एक मिलिट्री ट्रेनिंग एकेडमी नहीं, बल्कि एक टेक-ड्रिवन फ्यूचरिस्टिक वॉरफेयर स्कूल बनाएंगे। इससे कैडेट्स को मॉडर्न बैटलफील्ड के लिए तैयार किया जाएगा।
आपको क्या लगता है? क्या यह बदलाव NDA कैडेट्स के फ्यूचर के लिए गेम चेंजर होंगे? अपनी राय कमेंट में जरूर शेयर करें।
जय हिंद!