
इंडियन आर्मी ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि आज की भारतीय सेना सीनियरिटी से ज्यादा प्रेफरेंस डिजर्विंग ऑफिसर्स को देती है। दरअसल, इंडियन नेवी और इंडियन एयरफोर्स के बाद अब इंडियन आर्मी ने भी अपने थ्री स्टार ऑफिसर्स के लिए ग्रेडिंग सिस्टम इंट्रोड्यूस करने का फैसला लिया है, जिसके आधार पर प्रमोशंस, पोस्टिंग और अपॉइंटमेंट दिए जाएंगे, ना कि सिर्फ सीनियरिटी के आधार पर।
क्या है यह ऑफिसर ग्रेडिंग सिस्टम?
अब तक आर्मी में सिर्फ मेजर जनरल रैंक तक के ऑफिसर्स की ही ग्रेडिंग होती थी, जो कि टू स्टार ऑफिसर्स होते हैं। इसका मतलब है कि जब कोई ऑफिसर लेफ्टिनेंट जनरल बन जाता था, जो कि एक थ्री स्टार ऑफिसर रैंक है, तो उसकी परफॉर्मेंस का कोई फॉर्मल इवेलुएशन नहीं होता था। इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ ने करीब दो साल पहले यह प्रपोजल रखा था कि आर्मी, नेवी और एयरफोर्स तीनों में ही थ्री स्टार ऑफिसर्स के लिए परफॉर्मेंस बेस ग्रेडिंग होनी चाहिए। नेवी और एयरफोर्स ने तो ये सिस्टम पहले ही लागू कर दिया था, लेकिन अब आर्मी ने भी इसे अपना लिया है।
ग्रेडिंग सिस्टम का कार्यान्वयन
यह नया ग्रेडिंग सिस्टम 31 मार्च 2025 से लागू होगा और इसमें लेफ्टिनेंट जनरल्स को एक से नौ के स्केल पर इवेलुएट किया जाएगा, लेकिन इसमें आर्मी कमांडर्स और वाइस चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ इंक्लूड नहीं होंगे। हर रैंक के लिए अलग-अलग क्वालिटी पैरामीटर सेट किए गए हैं और हर ऑफिसर को उन पैरामीटर्स पर ग्रेड किया जाएगा, जो उनके एनुअल कॉन्फिडेंशियल रिपोर्ट (ACR) में रिकॉर्ड होते हैं। ये ग्रेड्स प्रमोशन के लिए बहुत महत्वपूर्ण होंगे।
ग्रेडिंग सिस्टम का उद्देश्य
इस ग्रेडिंग सिस्टम का मुख्य उद्देश्य मेरिट-बेस्ड अपॉइंटमेंट को सुनिश्चित करना है। इसका मतलब है कि जो ऑफिसर परफॉर्मेंस में बेहतर हैं, उन्हें ही महत्वपूर्ण पोजीशंस जैसे कि कोर कमांडर्स और आर्मी कमांडर्स के लिए चुना जाएगा। अब सिर्फ सीनियरिटी ही नहीं, बल्कि परफॉर्मेंस भी मैटर करेगी।
आर्मी के रैंक स्ट्रक्चर और प्रमोशन सिस्टम पर प्रभाव
इंडियन आर्मी में कर्नल के बाद के सभी प्रमोशंस सिलेक्शन के आधार पर होते हैं और जैसे-जैसे रैंक ऊपर जाती है, सिलेक्शन रेशो काफी कम हो जाता है। इंडियन आर्मी की हायरार्की के अनुसार, कर्नल के बाद ब्रिगेडियर (वन स्टार ऑफिसर) होता है, उसके बाद मेजर जनरल (टू स्टार ऑफिसर), फिर लेफ्टिनेंट जनरल (थ्री स्टार ऑफिसर) और अंत में तीनों सर्विस के चीफ फोर स्टार ऑफिसर होते हैं।
पहले आर्मी कमांडर के सिलेक्शन में सीनियरिटी और रेसिड्यूअम सर्विस (बचे हुए सर्विस का समय) देखी जाती थी, यानी ऑफिसर के रिटायरमेंट में कम से कम डेढ़ साल बचे होने चाहिए, लेकिन अब ग्रेडिंग भी एक महत्वपूर्ण फैक्टर होगा।
यह ग्रेडिंग सिस्टम इंडियन आर्मी में मेरिट-बेस्ड प्रमोशंस और अपॉइंटमेंट को सुनिश्चित करेगा, जिससे भारतीय सेना की कार्यक्षमता और स्ट्रक्चर और मजबूत होगा।
तो दोस्तों, यह थी इंडियन आर्मी द्वारा अपने थ्री स्टार रैंक ऑफिसर्स के लिए लागू की गई ग्रेडिंग सिस्टम पॉलिसी। आपकी इस पर क्या राय है? क्या यह ग्रेडिंग सिस्टम इंडियन आर्मी के स्ट्रक्चर को और मजबूत बनाएगा? अपनी राय हमें नीचे कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं।
जय हिंद!