Indian Army Chief to Get IAF Officer as ADC for the 1st Time

। आज हम बात करने वाले हैं इंडियन डिफेंस फोर्सेस में हाल ही में घोषित एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक सुधार (Administrative Reform) के बारे में, जो सर्विस चीफ के साथ असाइन होने वाले एडीसी (Aide-de-Camp) से संबंधित है। यह सुधार तीनों सेनाओं—आर्मी, नेवी और एयरफोर्स—के बीच जॉइंटनेस (Jointness) को बढ़ावा देने के लिए किया गया है। आइए जानते हैं कि यह बदलाव क्या है और इसका प्रभाव कितना महत्वपूर्ण हो सकता है।

एडीसी (Aide-de-Camp) कौन होते हैं?

आपने अक्सर हाई-प्रोफाइल सरकारी अधिकारियों और गणमान्य व्यक्तियों के आसपास इंडियन आर्मी, नेवी और एयरफोर्स के कुछ अधिकारियों को देखा होगा। इन्हें ही एडीसी कहा जाता है। आमतौर पर, एडीसी की नियुक्ति कैप्टन या मेजर रैंक के अधिकारी (या उनके समकक्ष रैंक के नेवी और एयरफोर्स अधिकारियों) को दी जाती है।

एडीसी की जिम्मेदारियां:

  • अपने संबंधित वरिष्ठ अधिकारी की सुरक्षा सुनिश्चित करना।
  • प्रशासनिक और कार्यकारी सहायक के रूप में काम करना।
  • स्थानीय सैन्य प्राधिकरणों और पुलिस के साथ समन्वय करना।
  • वरिष्ठ अधिकारी के दिन-प्रतिदिन की आवश्यकताओं को प्रबंधित करना।
  • विदेशी दौरों पर अधिकारी के साथ जाना और सभी प्रोटोकॉल का पालन सुनिश्चित करना।

एडीसी की नई नियुक्ति प्रक्रिया

पहले, आर्मी, नेवी और एयरफोर्स के चीफ अपने एडीसी अपनी ही सर्विस से चुनते थे। आमतौर पर, वे उन्हीं अधिकारियों को चुनते थे जिनका उनकी यूनिट से विशेष संबंध होता था। लेकिन अब, इस नए प्रशासनिक सुधार के तहत:

  • आर्मी चीफ का एडीसी अब नेवी या एयरफोर्स का अधिकारी होगा।
  • नेवी और एयरफोर्स के चीफ को उनके सिस्टर सर्विस से एडीसी असाइन किए जाएंगे।
  • यह बदलाव 1 जनवरी से प्रभावी हो गया है और इसे तीनों सेनाओं के प्रमुखों द्वारा स्वीकार कर लिया गया है।

इस सुधार का उद्देश्य और प्रभाव

यह बदलाव चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान द्वारा प्रस्तावित 200-सूत्रीय सुधार एजेंडा का हिस्सा है। इसका मुख्य उद्देश्य:

  • तीनों सेनाओं के बीच परस्पर समझ और सहयोग को बढ़ावा देना।
  • एक-दूसरे की कार्यशैली और चुनौतियों को समझने का अवसर देना।
  • आधुनिक सैन्य अभियानों में एकीकृत टीम वर्क को मजबूत करना।
  • जॉइंट कल्चर को बढ़ावा देना और कोहेसिव (संगठित) माइंडसेट विकसित करना।

अन्य गणमान्य व्यक्तियों के पास भी होते हैं एडीसी

  • राष्ट्रपति के पास पाँच एडीसी होते हैं: तीन आर्मी से, एक एयरफोर्स से और एक नेवी से।
  • उपराष्ट्रपति के पास दो एडीसी होते हैं, जो इंडियन डिफेंस फोर्सेस से होते हैं।
  • राज्यपालों के पास दो एडीसी होते हैं, जिनमें से एक इंडियन डिफेंस फोर्सेस से और दूसरा राज्य पुलिस सेवा से होता है।
  • मेजर जनरल और समकक्ष रैंक के अधिकारी जो डिवीज़न या पीस टाइम कमांड में होते हैं, उनके पास भी एडीसी होते हैं।

हालांकि, इंडियन आर्मी में युवा अधिकारियों की कमी के कारण, अब गवर्नर्स को एडीसी उपलब्ध कराने की नीति पर पुनर्विचार किया जा रहा है।

यह नया सुधार तीनों सेनाओं के बीच समन्वय और एकता को बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह न केवल जॉइंटनेस को बढ़ावा देगा बल्कि युवा अधिकारियों को एक-दूसरे की कार्यशैली को समझने और सहयोग करने का भी अवसर प्रदान करेगा। यह सुधार आधुनिक युद्ध प्रणाली और सैन्य प्रशासन के लिए अत्यंत आवश्यक है।

दोस्तों, आपको यह सुधार कैसा लगा? अपनी राय हमें कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं।

जय हिंद!

Hi im Rajani Singh. Helping veterans and ex-servicemen is a noble and impactful cause. These individuals have dedicated a significant portion of their lives to serving their country, often facing immense physical and emotional challenges. Supporting them as they transition back into civilian life can involve offering job opportunities, mental health care, housing, and community support. Many veterans struggle with post-traumatic stress disorder (PTSD) or physical disabilities, and ensuring they have access to quality healthcare and rehabilitation services is crucial. Educational programs and skill development initiatives can also help them reintegrate into the workforce. Moreover, creating a supportive and understanding community helps veterans regain a sense of belonging and purpose. By advocating for their needs, we honor their service and sacrifices, ensuring they receive the care and respect they deserve.

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