How R&AW Agents Are Trained: The Untold Story

आर एंड के फील्ड एजेंट्स की ट्रेनिंग प्रक्रिया: एक विस्तृत विश्लेषण

एक बार कैंडिडेट्स को सफलतापूर्वक एजेंसी में रिक्रूट कर लिया जाता है, तब उन्हें एक प्रॉपर ट्रेनिंग करिकुलम से गुजरना पड़ता है। यह करिकुलम इस बात पर निर्भर करता है कि कैंडिडेट डायरेक्ट एंट्री के माध्यम से आर एंड में शामिल हुआ है या फिर लैटरल रेक्रूटमेंट के द्वारा। इसी के आधार पर ट्रेनिंग को विभिन्न चरणों में विभाजित किया जाता है।


बेसिक ट्रेनिंग: पहला चरण

बेसिक ट्रेनिंग का मुख्य उद्देश्य नए रिक्रूट्स का मनोबल बढ़ाना होता है, जो कि एक पेप टॉक से शुरू होती है। यह लगभग 10 दिनों का एक प्रारंभिक चरण होता है जिसमें नए रिक्रूट्स को रियल वर्ल्ड इंटेलिजेंस और स्पायिंग की अवधारणा से परिचित कराया जाता है, जो फिल्मों से बिल्कुल अलग होती है।

इस ट्रेनिंग में रिक्रूट्स को निम्नलिखित विषयों पर प्रशिक्षण दिया जाता है:

  • ट्रेडक्राफ्ट टेक्निक्स और इनके सामान्य उपयोग।
  • इंटेलिजेंस डेटा की क्लासिफिकेशन।
  • फाइनेंशियल और इकोनॉमिक एनालिसिस।
  • स्पेस टेक्नोलॉजी और इंफॉर्मेशन सिक्योरिटी।
  • एनर्जी सिक्योरिटी और साइंटिफिक नॉलेज।
  • फॉरेन लैंग्वेज में विशेषज्ञता।
  • जियो-स्ट्रेटेजिक एनालिसिस की बुनियादी समझ।

ट्रेनिंग के दौरान सीआईए, केजीबी, आईएसआई, मोसाद और एमआई6 जैसी अंतरराष्ट्रीय खुफिया एजेंसियों की केस स्टडीज भी सिखाई जाती हैं। यह ट्रेनिंग भारत के विभिन्न प्रशिक्षण संस्थानों और केंद्रों में आयोजित की जाती है।

उदाहरण के लिए:

  • गुड़गांव स्थित रेजिडेंशियल ट्रेनिंग और लैंग्वेज इंस्टीट्यूट में आर एंड ऑफिसर्स को टैक्टिक्स और लैंग्वेज की बेसिक क्लासरूम ट्रेनिंग दी जाती है।
  • मुंबई के मल्टी-डिसिप्लिन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स एंड इंटेलिजेंस में मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग की जांच करना सिखाया जाता है।

एक रोचक तथ्य यह भी है कि आर एंड न केवल भारतीय ऑफिसर्स को बल्कि अफ्रीकी देशों के इंटेलिजेंस ऑफिसर्स को भी प्रशिक्षण प्रदान करती है। कई रिटायर्ड आर एंड ऑफिसर्स को अफ्रीकी स्टेट्स के इंटेलिजेंस ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट्स में डेपुटेशन पर भेजा जाता है।


एडवांस ट्रेनिंग: दूसरा चरण

बेसिक ट्रेनिंग को सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद, सभी रिक्रूट्स को एफआईजी इंटेलिजेंस ब्यूरो के साथ एक से दो साल के लिए अटैच किया जाता है। इस दौरान उन्हें क्लंडस्टाइन ऑपरेशंस का फर्स्ट हैंड अनुभव दिया जाता है।

क्लंडस्टाइन ऑपरेशंस क्या होते हैं? ये वे गुप्त खुफिया और सैन्य अभियान होते हैं जिन्हें इस प्रकार अंजाम दिया जाता है कि ना ही जनता और ना ही दुश्मन बलों को इसकी भनक लगे।

एडवांस ट्रेनिंग में निम्नलिखित पहलू शामिल होते हैं:

  • रात के अभियानों के दौरान इन्फिल्ट्रेशन टेक्निक्स।
  • दुश्मन के इलाके में पकड़े जाने से बचने के उपाय।
  • अगर पकड़े जाएं, तो इंटेरोगेशन को फेस करने की रणनीति।

इस ट्रेनिंग के बाद, रिक्रूट्स को अलग-अलग प्रशिक्षण केंद्रों में भेजा जाता है, जहाँ उनकी विशेषज्ञता को और निखारा जाता है:

  • आईएमए (इंडियन मिलिट्री अकादमी), देहरादून: फिजिकल और फील्ड ट्रेनिंग।
  • इन्फैंट्री स्कूल, बेलगाम: स्पेशल कमांडो कोर्स।

मिलिट्री ट्रेनिंग के अलावा, रिक्रूट्स को एडमिनिस्ट्रेटिव डिसिप्लिन में भी प्रशिक्षित किया जाता है, ताकि उन्हें डिप्लोमेट के रूप में विदेशी मिशनों में तैनात किया जा सके, बिना उनकी असली पहचान उजागर किए।

सभी रिक्रूट्स को एक ही तरह की ट्रेनिंग मिले, यह जरूरी नहीं होता। बल्कि, हर ऑफिसर को उसके मिशन और कार्यक्षेत्र के अनुसार विशेष ट्रेनिंग दी जाती है।

कुछ ऑफिसर्स को विदेशी इंटेलिजेंस एजेंसियों से प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए भी भेजा जाता है। इसमें सबसे प्रमुख देश इज़राइल है। कई आर एंड ऑफिसर्स को इज़राइली खुफिया एजेंसी मोसाद से एक्सक्लूसिव ट्रेनिंग मिली हुई है।


फाइनल डिप्लॉयमेंट: तीसरा चरण

इतनी कठिन और गहन ट्रेनिंग के बाद, एजेंट्स को उनकी विशेष योग्यता के आधार पर तैनात किया जाता है।

  • कुछ एजेंट्स को नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (NSG), डिफेंस फोर्सेज और अन्य सरकारी संगठनों के साथ अटैच किया जाता है।
  • कुछ आर एंड ऑफिसर्स को गुप्त पहचान (False Identity) के साथ विदेशी एंबेसी में डिप्लॉय किया जाता है।
  • वे गुप्त नेटवर्क स्थापित करते हैं और मिशन के अनुसार “कवर एजेंट” के रूप में कार्य करते हैं।

निष्कर्ष: भारतीय खुफिया एजेंसी की कड़ी ट्रेनिंग

आज के इस लेख में हमने देखा कि आर एंड अपने फील्ड एजेंट्स को कैसे कठोर और संरचित ट्रेनिंग प्रदान करती है। यह ट्रेनिंग सिर्फ फिजिकल ट्रेनिंग नहीं होती, बल्कि इसमें मेंटल, साइंटिफिक, साइकोलॉजिकल और स्ट्रेटेजिक ट्रेनिंग भी शामिल होती है।

आपकी राय क्या है?

क्या आपको लगता है कि आर एंड की ट्रेनिंग प्रणाली भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को और अधिक मजबूत बनाती है? या फिर इसमें और सुधार की आवश्यकता है? अपनी राय हमें कमेंट में जरूर बताएं।

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Hi im Rajani Singh. Helping veterans and ex-servicemen is a noble and impactful cause. These individuals have dedicated a significant portion of their lives to serving their country, often facing immense physical and emotional challenges. Supporting them as they transition back into civilian life can involve offering job opportunities, mental health care, housing, and community support. Many veterans struggle with post-traumatic stress disorder (PTSD) or physical disabilities, and ensuring they have access to quality healthcare and rehabilitation services is crucial. Educational programs and skill development initiatives can also help them reintegrate into the workforce. Moreover, creating a supportive and understanding community helps veterans regain a sense of belonging and purpose. By advocating for their needs, we honor their service and sacrifices, ensuring they receive the care and respect they deserve.

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