जवानों की वर्तमान स्थिति और उनके वेलफेयर की चुनौतियां
परिचय
जय हिंद साथियों! आपका स्वागत है। यह लेख उन जवानों के जीवन की वास्तविकता को उजागर करता है, जो देश की रक्षा में अपना सर्वस्व अर्पण करते हैं। आज, हम उनके सामने आने वाली समस्याओं और उनके समाधान पर चर्चा करेंगे।
1. आँख बंद करने से खतरा नहीं टलता
- कबूतर बिल्ली को देखकर आँख बंद कर लेता है और सोचता है कि वह सुरक्षित है।
- यह मानसिकता जवानों की चुनौतियों के समाधान के लिए अप्रासंगिक है।
- असलियत को समझना और उसका सामना करना आवश्यक है।
कविता:
आँख बंद कर लेने से खतरा टल ना जाएगा,
देखना पड़ेगा वो, जो देखा ना जाएगा।
2. ग्राउंड पर स्थिति
- वास्तविक स्थिति यह है कि जवानों को गंभीर बीमारियों में भी समर्थन नहीं मिलता।
- 17 साल की सेवा के बाद एक जवान को ब्लड कैंसर के कारण इनवैलिड आउट कर दिया गया।
- उसे डिसेबिलिटी पेंशन तक नहीं मिली।
3. चिकित्सा और खर्चे
- जवान का परिवार हर हफ्ते ₹4500 की दवाएं बाजार से खरीदने को मजबूर है।
- ECHS (Ex-Servicemen Contributory Health Scheme) में दवाइयों की उपलब्धता एक बड़ी समस्या है।
4. न्याय की लड़ाई और अड़चनें
- जवानों के केस आर्म्ड फोर्सेस ट्रिब्यूनल (AFT) में लंबित रहते हैं।
- MOD (Ministry of Defence) के नियंत्रण के कारण केस आगे नहीं बढ़ पाते।
5. सीनियर अधिकारियों की सुविधाएं
- सीनियर अधिकारी अपनी जरूरतों के अनुसार सुविधाएं प्राप्त करते हैं।
- उनके परिवारों को बिना किसी दस्तावेज़ के इलाज मिल जाता है।
- वहीं जवानों के परिवार को इलाज के लिए सैकड़ों दस्तावेज़ जमा करने पड़ते हैं।
6. जवानों का मनोबल
- ऐसी असमानताओं से जवानों का मनोबल गिरता है।
- एक जवान को अपनी बेटी के इलाज के लिए क्राउड फंडिंग का सहारा लेना पड़ा।
- क्या यह स्थिति सेना के सम्मान के अनुकूल है?
7. कर्नल साहब की टिप्पणी
- कर्नल साहब ने लिखा कि स्थिति इतनी खराब है कि कल्पना भी नहीं की जा सकती।
- जवानों के लिए सुविधाओं की कमी और न्याय की देरी उनके परिवारों पर भारी पड़ती है।
- सीनियर अधिकारी केवल अपने भविष्य की योजनाओं में व्यस्त रहते हैं।
8. सवाल जो सोचने पर मजबूर करते हैं
- क्या सेना की स्थिति ऐसी ही रहेगी?
- क्या सीनियर अधिकारी अपने जूनियर और जवानों की स्थिति के प्रति संवेदनशील होंगे?
- अगर ऐसे ही हालात रहे, तो आने वाली पीढ़ी सेना में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित कैसे होगी?
9. समाधान की दिशा में कदम
- डिसेबिलिटी पेंशन की नीति में सुधार:
- गंभीर बीमारियों से पीड़ित जवानों को तुरंत मदद मिले।
- ECHS को मजबूत बनाना:
- सभी दवाएं समय पर उपलब्ध कराई जाएं।
- MOD का नियंत्रण कम करना:
- न्यायिक प्रक्रियाओं को स्वतंत्र और निष्पक्ष बनाया जाए।
- सीनियर अधिकारियों की जवाबदेही:
- उनके विशेषाधिकारों की समीक्षा की जाए।
- जवानों और उनके परिवार के लिए विशेष योजनाएं:
- शिक्षा, स्वास्थ्य और आर्थिक सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए।
10. निष्कर्ष
देश के जवान हमारी सुरक्षा की रीढ़ हैं। उनके साथ अन्याय न केवल उन्हें प्रभावित करता है, बल्कि देश के प्रति विश्वास को भी कमजोर करता है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि वे और उनके परिवार हर सुविधा का लाभ उठा सकें।
जय हिंद, जय भारत!
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