सेना मैडल पूर्व सैनिक के साथ ऐसा घिनौना बर्ताव ??

सेना मैडल पूर्व सैनिक के साथ ऐसा घिनौना बर्ताव ??

भारतीय सेना पेंशन विवाद और समाधान

जय हिंद दोस्तों, । आज का विषय है भारतीय सेना के पेंशन विवाद और इसके समाधान। हाल ही में एक मामला सामने आया है जिसमें पेंशन संबंधी मुद्दों पर सवाल उठाए गए हैं। आइए, विस्तार से समझते हैं कि आखिर क्या है ये मामला, इसके पीछे के कारण और संभावित समाधान।


1. मामले का परिचय

  • भारतीय सेना के कुछ सेवानिवृत्त अधिकारियों ने अपनी पेंशन में गड़बड़ी के बारे में शिकायत की है।
  • एक ऑनरी लेफ्टिनेंट ने बताया कि उनकी पेंशन, जो 30 साल की सेवा के बाद तय हुई थी, अपेक्षा से कम है।
  • उनके अनुसार, उनकी पेंशन 41200 होनी चाहिए थी, लेकिन उन्हें केवल 36650 ही मिल रही है।

2. पेंशन निर्धारण का तरीका

  • सेना में पेंशन का निर्धारण सेवा अवधि और रैंक के आधार पर किया जाता है।
  • पे मैट्रिक्स और एमएसपी (सैन्य सेवा वेतन) जैसे कारकों को जोड़कर पेंशन तय की जाती है।
  • इस मामले में संबंधित अधिकारी की सेवा अवधि 30 साल से अधिक होने के बावजूद कम पेंशन निर्धारित की गई है।

3. ओआरओपी योजना (One Rank One Pension)

  • ओआरओपी के तहत समान रैंक और समान सेवा वर्ष वाले सभी सैन्यकर्मियों को समान पेंशन दी जानी चाहिए।
  • इस योजना का उद्देश्य पेंशन असमानता को दूर करना है।
  • इस अधिकारी का दावा है कि उन्हें ओआरओपी योजना का सही लाभ नहीं मिल रहा है।

4. मामले का विश्लेषण

  • पेंशन स्लिप की जांच से पता चला कि सेवानिवृत्त अधिकारी की पेंशन में डीए (महंगाई भत्ता) जोड़ने के बाद भी अपेक्षित राशि नहीं आ रही है।
  • संबंधित विभाग से इस मामले में शिकायत दर्ज कराई गई, लेकिन जवाब में उन्हें बताया गया कि उनकी पेंशन सही तरीके से निर्धारित की गई है।

5. ग्रीवेंस और शिकायत प्रक्रिया

  • पेंशन संबंधित किसी भी मुद्दे के लिए सेवानिवृत्त अधिकारी ग्रीवेंस पोर्टल पर शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
  • इस मामले में भी ग्रीवेंस दर्ज किया गया था, लेकिन विभाग ने इसे सही पेंशन के रूप में बंद कर दिया।
  • शिकायत प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी के कारण अधिकारी संतुष्ट नहीं हो पाए।

6. पेंशन निर्धारण में ‘टर्म्स ऑफ एंगेजमेंट’ का महत्व

  • टर्म्स ऑफ एंगेजमेंट (सेवा शर्तें) के अनुसार, पेंशन का निर्धारण सेवा की अवधि के आधार पर होता है।
  • अधिकारी ने 30 साल की सेवा पूरी की थी, जो कि अधिकतम सीमा है। लेकिन पेंशन का निर्धारण इन शर्तों के अनुसार नहीं हुआ।
  • ये शर्तें सेना, वायुसेना और नौसेना के लिए अलग-अलग हैं, जिससे पेंशन निर्धारण में जटिलता उत्पन्न होती है।

7. पेंशन निर्धारण में पे मैट्रिक्स और डीए का योगदान

  • पेंशन का निर्धारण पे मैट्रिक्स के स्तर और एमएसपी के आधार पर किया जाता है।
  • महंगाई भत्ते (डीए) को जोड़ने के बाद भी अधिकारी की पेंशन में अंतर आया है।
  • पेंशन स्लिप में इसका सही विवरण नहीं मिलने से अधिकारी असंतुष्ट हैं।

8. दूसरे अधिकारियों के मामलों का अध्ययन

  • इसी तरह के अन्य मामलों का भी अध्ययन किया गया, जहां कुछ अधिकारी की पेंशन में भी इसी प्रकार की समस्या थी।
  • एक अन्य ऑनरी कैप्टन, जो फरवरी 2020 में सेवानिवृत्त हुए थे, उनकी पेंशन निर्धारण में भी इसी प्रकार की गड़बड़ी देखी गई।

9. पेंशन निर्धारण की प्रक्रिया में आवश्यक सुधार

  • पेंशन निर्धारण प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए डिजिटल सिस्टम का उपयोग किया जाना चाहिए।
  • पेंशन में होने वाले संशोधन और उसकी गणना का विवरण अधिकारियों को समय-समय पर उपलब्ध करवाया जाना चाहिए।
  • शिकायत के समाधान में तेजी लाने के लिए एक स्वतंत्र जांच समिति का गठन किया जा सकता है।

10. कोर्ट में मामला दर्ज करने का विकल्प

  • अगर पेंशन विवाद का समाधान नहीं होता है तो सेवानिवृत्त अधिकारी कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं।
  • कोर्ट में मामला दर्ज कर उन्हें न्याय पाने का अधिकार है।

11. निष्कर्ष और सुझाव

  • यह मुद्दा दर्शाता है कि पेंशन निर्धारण में स्पष्टता और पारदर्शिता की कमी है।
  • ग्रीवेंस पोर्टल पर शिकायतें दर्ज करने के बाद भी अगर समाधान नहीं मिलता, तो अधिकारियों को कोर्ट का सहारा लेना पड़ सकता है।
  • सरकार को इस मामले पर ध्यान देना चाहिए और पेंशन निर्धारण प्रक्रिया को आसान और पारदर्शी बनाना चाहिए।

समापन

इस लेख में हमने भारतीय सेना के पेंशन विवाद, ओआरओपी योजना, ग्रीवेंस प्रक्रिया और कानूनी उपायों के बारे में जाना। पेंशन मामलों में पारदर्शिता, ईमानदारी और त्वरित समाधान से ही सेवानिवृत्त सैनिकों का विश्वास बहाल किया जा सकता है। उम्मीद है कि इस दिशा में सुधार जल्दी होंगे ताकि हमारे सैनिक सम्मानजनक पेंशन का लाभ उठा सकें। जय हिंद!

Hi im Rajani Singh. Helping veterans and ex-servicemen is a noble and impactful cause. These individuals have dedicated a significant portion of their lives to serving their country, often facing immense physical and emotional challenges. Supporting them as they transition back into civilian life can involve offering job opportunities, mental health care, housing, and community support. Many veterans struggle with post-traumatic stress disorder (PTSD) or physical disabilities, and ensuring they have access to quality healthcare and rehabilitation services is crucial. Educational programs and skill development initiatives can also help them reintegrate into the workforce. Moreover, creating a supportive and understanding community helps veterans regain a sense of belonging and purpose. By advocating for their needs, we honor their service and sacrifices, ensuring they receive the care and respect they deserve.

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