सावधान – OROP-3

क्या आपका बढ़ा हुआ पैसा वापिस होगा ?

रक्षा पेंशन से संबंधित समस्याएं और समाधान: एक विस्तृत विश्लेषण

परिचय

जय हिंद दोस्तों आज हम एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा करेंगे – बढ़ी हुई पेंशन राशि में कटौती का मसला। हाल ही में ऐसा एक केस सामने आया है, जो इस मुद्दे पर कई सवाल उठाता है। हमने इस विषय पर कई दस्तावेजों और सरकारी आदेशों का गहराई से अध्ययन किया। इस लेख में हम इस समस्या की गहराई में जाकर इसका विश्लेषण करेंगे और समझेंगे कि क्या इसका कोई समाधान हो सकता है।

मुद्दे की जानकारी

  1. केस का परिचय
    हमारे केस में सूबेदार ऑनरी लेफ्टिनेंट साहब 30 वर्ष और 9 दिन की सेवा के बाद 31 अक्टूबर 2019 को आर्मी मेडिकल कोर से रिटायर हुए। उनके रिटायरमेंट के समय पेंशन ₹36,650 थी। लेकिन हाल ही में उन्हें ₹41,200 मिलनी चाहिए थी, फिर भी उन्हें यह राशि नहीं दी जा रही।
  2. पेंशन की गड़बड़ी
    सूबेदार साहब को एक समय के बाद उनकी पेंशन स्लिप में पेंशन ₹36,650 दिखने लगी, जबकि ओआरओपी (वन रैंक वन पेंशन) के अंतर्गत उन्हें ₹41,200 मिलनी चाहिए थी। इसके बारे में जब उन्होंने शिकायत दर्ज की तो उन्हें बताया गया कि उनकी पेंशन सही है और किसी प्रकार की त्रुटि नहीं है।
  3. शिकायत का जवाब
    सूबेदार साहब ने पेंशन विभाग में शिकायत की, जिसका उत्तर 11 अक्टूबर को प्राप्त हुआ। जवाब में उन्हें बताया गया कि उनकी पेंशन पॉलिसी के अनुसार सही है और किसी बदलाव की आवश्यकता नहीं है।

टर्म्स ऑफ एंगेजमेंट का विश्लेषण

  1. टेबल और टर्म्स का अंतर
    पेंशन वितरण में “टर्म्स ऑफ एंगेजमेंट” का महत्वपूर्ण स्थान होता है। सैनिकों के लिए टेबल और टर्म्स का निर्धारण किया गया है, जो उनकी सेवा अवधि और रैंक के अनुसार पेंशन निर्धारित करते हैं।
  2. आर्मी के विभिन्न टर्म्स
    आर्मी, एयरफोर्स और नेवी में टर्म्स ऑफ एंगेजमेंट की अपनी अलग-अलग नियमावली होती है। सूबेदार साहब की टर्म्स ऑफ एंगेजमेंट के अनुसार, उन्हें 30 साल की सेवा के बाद पेंशन मिलनी चाहिए थी।

सरकारी दस्तावेजों का संदर्भ

  1. 2016 का सर्कुलर और ओआरओपी
    3 फरवरी 2016 का एक सर्कुलर जो ओआरओपी के तहत जारी हुआ था, इसमें पेंशन रिवीजन के लिए निर्देश दिए गए थे। इसी सर्कुलर के तहत पेंशन स्लैब निर्धारित किए गए थे। इसके अंतर्गत पेंशन बढ़नी चाहिए थी, परंतु सूबेदार साहब का रिवीजन नहीं किया गया।
  2. सर्कुलर नंबर 555
    सर्कुलर नंबर 555 के अनुसार, जो कि ओआरओपी-1 का हिस्सा है, इसमें कहा गया है कि टर्म्स ऑफ एंगेजमेंट के अनुसार ही पेंशन तय होगी। सूबेदार साहब की पेंशन में कमी इसी सर्कुलर की गलत व्याख्या का परिणाम प्रतीत होती है

अन्य केस का उदाहरण

  1. ऑनरी कैप्टन का केस
    एक अन्य केस में, ऑनरी कैप्टन साहब 29 फरवरी 2020 को रिटायर हुए। उनकी पेंशन ₹43,000 निर्धारित की गई थी, जो कि सूबेदार साहब से अधिक है, जबकि उनकी सेवा चार महीने बाद समाप्त हुई। इस अंतर से पता चलता है कि कहीं न कहीं पेंशन रिवीजन में असंगतियां हैं।
  2. अनेक पेंशनर्स की समस्या
    कई अन्य पेंशनर्स ने भी शिकायत की है कि उनकी पेंशन बढ़ाई नहीं गई है। इसका कारण बताया गया कि उनकी पेंशन “मैक्सिमम टर्म्स ऑफ एंगेजमेंट” के अनुसार सही है, जो एक असामान्य कारण प्रतीत होता है।

समाधान के संभावित उपाय

  1. उच्च अधिकारियों से संपर्क
    ऐसे मामलों में पेंशन विभाग और रक्षा मंत्रालय के उच्च अधिकारियों से संपर्क करना एक प्रभावी कदम हो सकता है।
  2. दस्तावेज़ों और आदेशों की विस्तृत जानकारी
    सभी पेंशनर्स को अपने पेंशन से जुड़े दस्तावेज़ जैसे पीपीओ, टर्म्स ऑफ एंगेजमेंट, सर्कुलर नंबर 555 इत्यादि की गहरी जानकारी होनी चाहिए।
  3. वकील से सलाह और न्यायालय में अपील
    यदि पेंशन रिवीजन में फिर भी कोई बदलाव नहीं होता है, तो पेंशनर्स को अदालत में अपील करनी चाहिए। कई पेंशनर्स ने अदालत के माध्यम से अपने हक की लड़ाई लड़ी है और सफलता प्राप्त की है।

निष्कर्ष

यह मुद्दा सैनिकों की पेंशन के न्यायपूर्ण वितरण का है, जो उनकी कड़ी मेहनत और वर्षों की सेवा का प्रतिफल है। हमारी सरकार और संबंधित विभागों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पेंशन वितरण में किसी प्रकार की त्रुटि न हो और सभी सैनिकों को उनकी सेवा के अनुरूप सम्मानजनक पेंशन प्राप्त हो।

यदि आप इस प्रकार की किसी समस्या का सामना कर रहे हैं तो अपने क्षेत्र के  विभाग से संपर्क करें और सही जानकारी प्राप्त करें। यह आपकी पेंशन का मामला है और इसे गंभीरता से लें। आपकी सेवा और योगदान का सम्मान करते हुए सरकार को इसे हल करने में तत्परता दिखानी चाहिए।

जय हिंद! जय भारत!

Hi im Rajani Singh. Helping veterans and ex-servicemen is a noble and impactful cause. These individuals have dedicated a significant portion of their lives to serving their country, often facing immense physical and emotional challenges. Supporting them as they transition back into civilian life can involve offering job opportunities, mental health care, housing, and community support. Many veterans struggle with post-traumatic stress disorder (PTSD) or physical disabilities, and ensuring they have access to quality healthcare and rehabilitation services is crucial. Educational programs and skill development initiatives can also help them reintegrate into the workforce. Moreover, creating a supportive and understanding community helps veterans regain a sense of belonging and purpose. By advocating for their needs, we honor their service and sacrifices, ensuring they receive the care and respect they deserve.

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