रिजर्वेशन और सैनिकों के पुनर्वास की समस्याएं: मुद्दे और मांगें
परिचय
सैनिकों के पुनर्वास और उनके सम्मान से जुड़े कई मुद्दे आज भी चर्चा का विषय बने हुए हैं। राजस्थान में हाल ही में सैनिक पंचायतों और विरोध यात्राओं का आयोजन किया गया है। ये सभी कार्यक्रमों का उद्देश्य सरकार का ध्यान सैनिकों के पुनर्वास में आई विसंगतियों और उनके अधिकारों की रक्षा की ओर दिलाना है।
मुख्य मुद्दे
- रिजर्वेशन पॉलिसी में बदलाव
- पहले सैनिकों के लिए अलग रिजर्वेशन का प्रावधान था जो वर्टिकल था। इसमें सैनिकों का अलग से कोटा था, जिससे वे किसी भी जातिगत बंधनों से मुक्त थे।
- 2022 में कांग्रेस सरकार ने इस वर्टिकल रिजर्वेशन को हॉरिजॉन्टल रिजर्वेशन में बदल दिया, जिसमें सैनिकों को अलग-अलग जातियों में बांट दिया गया। इससे उनके लिए उपलब्ध सीटें घट गईं, जो 125 से घटकर 60 पर आ गई।
- फिजिकल रिलैक्सेशन की मांग
- कई भूतपूर्व सैनिकों की उम्र अधिक हो चुकी है, लेकिन उन्हें 18-25 वर्ष के नवयुवकों के साथ ही समान फिजिकल स्टैंडर्ड का सामना करना पड़ता है।
- राजस्थान सरकार से अनुरोध किया गया है कि फिजिकल स्टैंडर्ड्स में एज के अनुसार रियायत दी जाए, ताकि वरिष्ठ सैनिकों को पुनर्वास प्रक्रिया में समान अवसर मिल सके।
- भूतपूर्व सैनिकों के लिए दोहरे लाभ का अभाव
- वर्तमान नियमों के अनुसार, राजस्थान सरकार का कोई भी कर्मचारी दोहरा लाभ ले सकता है। परन्तु भूतपूर्व सैनिकों को ये अधिकार नहीं है।
- उदाहरण के तौर पर, यदि किसी सैनिक को टीचर के पद पर नियुक्त किया जाता है और बाद में उसे प्रशासनिक सेवाओं में चुना जाता है, तो उसे यह दोहरा लाभ नहीं दिया जाता।
- तीन बच्चों का नियम
- एक और मुद्दा जो भूतपूर्व सैनिकों के पुनर्वास में बाधा बना हुआ है, वह तीन बच्चों का नियम है।
- कई सैनिकों ने लंबे समय तक सेवा की है और उनके परिवार पहले से बड़ा है। ऐसे में तीन बच्चों का नियम उनके लिए नकारात्मक परिणाम ला रहा है।
- मिनिमम मार्क्स की शर्त
- भूतपूर्व सैनिकों के लिए पुनर्वास में एक और समस्या है – न्यूनतम अंकों की शर्त।
- भूतपूर्व सैनिक जो उम्रदराज होते हैं, उनके लिए ये शर्त चुनौतीपूर्ण होती है। मानसिक और शारीरिक चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए, सरकार से आग्रह किया गया है कि न्यूनतम अंकों की शर्त को समाप्त किया जाए।
- विभाजन में हुई विसंगतियां
- नए नियमों के अनुसार, यदि किसी जातिगत कैटेगरी में पर्याप्त सैनिक नहीं हैं तो उस कोटे की सीट जनरल कैटेगरी में शिफ्ट हो जाती है। इसका मतलब यह है कि कई सीटें खाली रह जाती हैं, जिससे सैनिकों को नुकसान होता है।
- सैनिकों के लिए विशेष कानून की मांग
- सैनिकों की सेवा के बाद उन्हें समाज में आदर और सुरक्षा मिले, इसके लिए सरकार से विशेष कानून बनाने का आग्रह किया गया है।
- यह विशेष कानून सैनिकों के सम्मान की रक्षा करेगा और उनके मान-सम्मान की प्रतिष्ठा को बनाए रखेगा।
आंदोलनों का कारण और उद्देश्य
- राजस्थान के सैनिकों ने 2023 में पुनर्वास विसंगतियों के खिलाफ पैदल यात्रा, सैनिक महाकुंभ और तिरंगा यात्रा जैसे विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया।
- अक्टूबर 2023 में, सैनिक जागरूकता यात्रा का आयोजन किया गया और सैनिक पंचायतों का दौर शुरू हुआ। इन आंदोलनों का मुख्य उद्देश्य है सरकार को पुनर्वास नीति में सुधार की दिशा में प्रेरित करना।
राजस्थान सरकार के प्रति सैनिकों का दृष्टिकोण
- कांग्रेस सरकार में पुनर्वास नीति में बदलाव हुआ और वर्तमान सरकार ने वादा किया था कि वे सत्ता में आने पर सैनिकों को न्याय दिलाएंगे। हालांकि, वर्तमान सरकार ने इस दिशा में अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है, जिससे सैनिकों में असंतोष बढ़ रहा है।
निष्कर्ष
सैनिकों का एकमात्र उद्देश्य है कि उनके लिए एक ऐसी पुनर्वास नीति बनाई जाए जो उन्हें जातिगत आधार पर विभाजित ना करे। उनकी मांग है कि सरकार उनके पुनर्वास के साथ-साथ उनके सम्मान और अधिकारों की रक्षा करे।
भविष्य की योजनाएं
- यदि सरकार उनकी मांगों को नजरअंदाज करती है, तो सैनिक बड़ी संख्या में प्रदर्शन और आंदोलन करने की योजना बना रहे हैं। इसका उद्देश्य है कि हर गांव और जिले के सैनिक संगठित होकर अपनी आवाज को सरकार तक पहुंचाएं।
निष्कर्ष
सैनिकों के मुद्दे और उनकी पुनर्वास की समस्याएं एक गहरी चिंता का विषय हैं। सैनिकों का समाज में अद्वितीय स्थान है और उनकी समस्याओं को सुनना और समझना समाज का और सरकार का कर्तव्य है। सैनिकों के अधिकारों और उनके सम्मान की रक्षा के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।